Vastu Tips

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पिरामिड वास्तु: धन, स्वास्थ्य और सफलता का मिश्रण

प्राकृतिक ऊर्जा का संबंध दिषाओं से है। कर्म स्थान हो या व्यापार स्थान शरीर और जीवन को स्फूर्तिवान बनाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवष्यकता होती है। वास्तु शास्त्र में पिरामिड ऊर्जा का विषेष महत्व है। पिरामिड अपनी विषिष्ट आकृति के कारण उपयोगी ऊर्जा का प्रसार करते हैं। पिरामिड से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग अनेकानेक रोगों एवं मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भी किया जाता है। आजकल लोगों में पिरामिड शक्ति के प्रति जिज्ञासा काफी बढ़ रही है। मूलरूप से पिरामिड मिस्र में स्थापित है और विष्व के सात आष्चर्याें में से एक है। पिरामिड के विषेष ज्यामितिय आकार के फलस्वरूप इसके पांचों कोनांे से सकारात्मक ऊर्जा एवं बौद्धिक ऊर्जा (काॅस्मिक एनर्जी) प्राप्त होती है। पिरामिड वास्तु, रेकी और हीलिंग तकनीक पर कार्य करता है। पिरामिड वास्तु का प्रचलन भारत के अतिरिक्त 17 अन्य देषों में सफलता पूर्वक चल रहा है। पिरामिड वास्तु से भवन के बड़े से बड़े वास्तु दोष का उपचार सम्भव है। पिरामिड प्रत्येक व्यक्ति को उपयोग करना चाहिए ताकि उसे आवष्यक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो सके। पिरामिड हमारे जीवन में धन, वैभव, सुख, सफलता आदि बढ़ाने और स्वस्थ शरीर रखने में सहायक होता है। यह घर मंे उपस्थित बुरे प्रभाव, नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष को दूर करता है जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। थका हुआ आदमी अगर कुछ समय के लिए पिरामिड में बैठे तो उसकी थकान दूर हो जाती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। पिरामिड से उत्पन्न कम्पन मन और शरीर को परम शक्ति प्रदान कर एकाग्रता में वृद्धि करता है। स ्वयं पिरामिड बनाने के लिए सामग्री पिरामिड बनाने के लिए किसी भी प्रकार की सामग्री (लोहे या लौहयुक्त सामग्री को छोड़कर) प्रयुक्त की जा सकती है। पर इसके लिए श्वेत वागहीन रंग श्रेष्ठ है। इसलिए सफेद आर्ट पेपर, प्लास्टिक या एक्रिलिक चमकदार देवदार की सिलवर वृक्ष लकड़ी सर्वोतम है। प्लाइवुड बहुत अधिक उपयुक्त नहीं है क्योंकि उसकी भीतरी सतह में हल्के स्तर की सामग्री के

शुभ है या अशुभ उत्तरी दिशा में स्थित घर का प्रवेश द्वार, जानें

  • भारत की प्राचीन विद्या वास्तुशास्त्र, जिस पर सदियों से लोगों का विश्वास कायम है, की स्वीकार्यता आज भी बरकरार है। वे लोग जो वास्तुशास्त्र के अनुसार ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं वे अपने घर, मकान या फिर अन्य व्यवसायिक जगहों की छोटी-बड़ी संरचना वास्तु के निर्देशों पर आधारित रहकर ही करवाते हैं।
  • विशेषकर निवास स्थान की बात करें तो यहां से व्यक्ति का निजी जीवन जुड़ा होता है और अगर निजी जीवन में सुख शांति है तो वह आपके संपूर्ण व्यक्तित्व पर झलकता है। यही वजह है कि अधिकांश लोग अपने निवास स्थान की हर दिशा का निर्धारण वास्तुशास्त्र के अनुकूल ही करते हैं।
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार यह माना जाता है कि घर का प्रवेश द्वार अगर उत्तर दिशा में हो तो यह बहुत उत्तम होता है। अगर किसी को यह च्वॉयस दी जाए कि वह उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में से कौन सी दिशा का घर खरीदना पसंद करेंगे तो जाहिर तौर पर वह उत्तर दिशा के निवास स्थान को ही चयनित करेंगे। लेकिन क्या सभी उत्तर दिशा के निवास स्थान रहने के लिए उत्तम स्थान होते हैं?
  • इसका जवाब कुछ हद तक हां भी है और कुछ तक ना भी, क्योंकि भले ही वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा को सबसे शुभ दिशा माना गया है लेकिन अगर घर के प्रवेश द्वार का निर्धारण वास्तु के निर्देशों के अनुसार ना किया जाए तो उत्तर दिशा का घर भी अशुभ फल प्रदान कर सकता है।
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के प्रवेश द्वार की दिशा ही घर की सुख-शांति और पारिवारिक जनों के बीच प्रेम की गारंटी नहीं बन सकती। इसके बहुत से अन्य पैमाने भी हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा के किसी भी कोने में आप घर का मुख्य प्रवेश द्वार बनवा सकते हैं लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं।
  • पहली शर्त यह है कि घर के उत्तर-पूर्वी कोने में कभी भी शौचालय, रसोईघर या फिर बेडरूम नहीं होना चाहिए।

घर मे धन की बरक्कत के लिये | Ghar mein dhan ki barkat ke liye

आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप-टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी (boiled) नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !

धन प्राप्ति के 29 उपाय Dhan Prapti Ke Upay in Hindi लक्ष्मी प्राप्ति घरेलू उपाय मंत्र

  • पैसा दुनिया में सबकुछ तो नहीं होता है, लेकिन पैसों की जरूरत हर किसी को हर दिन पड़ती है. कई बार हमारे काम पैसों की कमी के कारण बिगड़ जाते हैं. कई बार छोटी-छोटी बातों को हम… अक्सर नजरंदाज कर देते हैं, और यही छोटी-छोटी बातें हमारे धन के आगमन के रास्ते में बाधा पैदा करती है. तो आइए जानते हैं, कि कौन से उपाय करके आप अपने पैसों के आगमन के श्रोत बढ़ा सकते हैं. क्या-क्या चीजें आपको करनी चाहिए और क्या नहीं करनी चाहिए.
  • जिस घर में अक्सर लड़ाई होती रहती है, उस घर पर लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है. इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आपके घर में लड़ाई न हो.
  • हर दिन श्रीसूक्त का पाठ कीजिए और श्रीसूक्त से हवन भी कीजिए.
  • घर में तुलसी का पौधा लगाएँ, और हर शाम तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जरुर जलाएँ.
  • जिस घर के लोग सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं, फिर पूजा करके हीं नाश्ता करते हों. उस घर पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.
  • भगवान को भोग लगाने के बाद हीं भोजन कीजिए.

अंग बताये मनुष्य का भविष्य

अंग बताये मनुष्य का भविष्य पं. मनोहर शर्मा मुख के आधार पर पुरुषों का मुख मुंह छोटा हो तो शुभ होता है। मुंह बहुत अधिक फैला हुआ हो तो व्यक्ति दरिद्र होता है। चैड़ा मुंह अशुभ होता है। स्त्रियों के मुख उन्नत ललाट एवं आकर्षक मुखाकृति वाली स्त्रियों को राजसी सुख प्राप्त होता है। जिस स्त्री का मुंह सुंदर, कांतियुक्त मुख हो वह सौभाग्यशालिनी होती है। आकर्षक, शांत और कांतियुक्त मुंह वाली स्त्रियां धनवान होती हैं। मुंह-गोल तथा मांसल हो तो स्त्रियां सौभाग्यशालिनी होती हैं। पिता से मिलता जुलता मुंह विशेष सौभाग्य का सूचक होता है। कमल के समान मुंह वाली स्त्री सर्वगुण संपन्न होती है। नाक: पुरुष की नाक यदि चार अंगुल लंबी नाक हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है। जिसकी नाक उभरी हुई हो वह सदाचारी होता है। हाथी के समान नाक वाला व्यक्ति भोगी होता है। तोते के समान नाक वाला व्यक्ति सुखी होता है। जिसकी नाक सीधी हो वह सौभाग्यशाली होता है। जिसके नथुने छोटे हों वह भाग्यवान होता है। जिसके नाक के आगे का हिस्सा टेढ़ा हो वह आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होता है। नुकीली नाक वाला राजातुल्य होता है। छोटी नाक वाला धर्मात्मा होता है। जिसकी नाक के आगे का हिस्सा दो भागों में बंटा हुआ हो वह दरिद्र होता है। चपटी नाक वाला व्यक्ति सरल स्वभाव का होता है। कटी हुई नाक वाला व्यक्ति पापी होता है। दायीं ओर झुकी हुई नाक वाला व्यक्ति कमजोर होता है। बड़े नथुने वाला व्यक्ति स्वस्थ होता है। स्त्रियों की नाक यदि नाक छोटी हो तो वह मजदूर स्वभाव वाली होती है। चपटी और लंबी नाक वाली स्त्री विधवा होती है। यदि नाक के आगे का हिस्सा लंबाई लिए हुए हो, तो वह रानी के समान सुख भोगती है। यदि नाक की नोक पर काला तिल या मस्सा हो, तो वह दुराचारिणी होती है। अत्यधिक लंबी नाक वाली स्त्री सुखहीन होती है। सुडौल और समान छिद्र वाली नाक श्रेष्ठता की सूचक है। लंबी और पतली नाक वाली स्त्री शुभ होती है।

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