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इस दिशा में है यदि मंदिर तो ना बनवाये भवन।  What if the temple is in this direction

इस दिशा में है यदि मंदिर तो ना बनवाये भवन।

इस दिशा में है यदि मंदिर तो ना बनवाये भवन।

 
 
इस दिशा में है यदि मंदिर तो ना बनवाये भवन।
इस दिशा में है मंदिर तो उसके आसपास न बनवाएं भवन अब तक जन सामान्य लोग यही जानते रहे हैं कि मंदिर हमेशा शुभ होता है जबकि मंदिर और भवन के बीच में दिशा महत्वपूर्ण होती है जिसका हमें ध्यान देना चाहिए 
 
आइये इसके बारे में जाने 
 
मंदिर श्रद्धा का केंद्र होता है इसलिए अपने आप में महत्वपूर्ण है लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण के लिए कई सारी बातें ध्यान देनी चाहिए जो जरूरी होती है और जिनकी भूमिका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती है।
 
यहां पर एक विशेष बात जो बताई जा रही हैं जो काफी लंबे समय और बड़े वर्ग समूह में भ्रम का कारण बना हुआ ऐसे भ्रम को दूर करते हुए मनुष्य के सुख पूर्ण जीवन बिताने के लिए दिशा के अनुसार मंदिर कहां और किस प्रकार होनी चाहिए उस पर थोड़े शब्दों में प्रकाश डाला जा रहा है। 
 
आवासीय भूमि के आसपास मंदिर भवन निर्माण को प्रभावित करती हैं। 
 
  • जैसे मंदिर यदि भवन के दक्षिण में स्थित है तो भौतिक उपलब्धियों का नुकसान होता है।
  •  यह मंदिर यदि भवन के बाये स्थित है तो कष्ट एवं दुख प्राप्त होते हैं।
  •  यदि यह मंदिर आवासीय भूमि के सामने हैं तो प्रगति में रुकावट आती है। 
  • यदि मंदिर पश्चिम में है तो धन और प्रतिष्ठा की हानि होती है। 
 इसलिए भूमि का चयन करते समय अगर इन सभी बातों का ध्यान रखें तो भविष्य में आने वाली कष्ट और समस्याओं से बचा जा सकता है। 
 भवन का निर्माण एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है।  इसलिए समय समय पर महत्वपूर्ण एवं जरुरी जानकारी इस चैनल के माध्यम से आपके सामने लेकर आते रहेंगे। 
 

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